नेशनल डेस्क: देश के अगले उपराष्ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और बीजेपी ने अपने उम्मीदवार के रूप में एक ऐसे नेता को चुना है जो विचारधारा, अनुभव और व्यवहार सभी कसौटियों पर खरे उतरते हैं। महाराष्ट्र के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन को एनडीए का उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया है। बीजेपी का यह फैसला न सिर्फ वैचारिक दृष्टिकोण से अहम है बल्कि सामाजिक और क्षेत्रीय संतुलन को भी साधता नजर आता है।
क्यों खास हैं सीपी राधाकृष्णन?
सीपी राधाकृष्णन की राजनीति में साख और छवि बेहद साफ-सुथरी रही है। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) से जुड़े रहे हैं और उनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि जनसंघ से लेकर बीजेपी तक फैली हुई है। राधाकृष्णन ने तमिलनाडु में बीजेपी को मजबूती देने में अहम भूमिका निभाई है। वे दो बार लोकसभा सांसद रह चुके हैं और कई राज्यों में राज्यपाल के तौर पर अपनी सेवाएं दे चुके हैं।
संवैधानिक पदों का लंबा अनुभव
सीपी राधाकृष्णन फरवरी 2023 में झारखंड के राज्यपाल बने थे। इसके साथ ही उन्हें तेलंगाना और पुदुच्चेरी का अतिरिक्त कार्यभार भी सौंपा गया था। जुलाई 2024 में वे महाराष्ट्र के राज्यपाल बनाए गए। इन सभी पदों पर उनका कार्यकाल बिना किसी विवाद के गुज़रा, जो उन्हें एक मजबूत और भरोसेमंद उम्मीदवार बनाता है।
जातीय और क्षेत्रीय समीकरण का संतुलन
राधाकृष्णन ओबीसी समुदाय से आते हैं और तमिलनाडु के तिरुपुर जिले से हैं। बीजेपी ने उनके नाम पर मुहर लगाकर दक्षिण भारत में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश की है। साथ ही पिछड़े वर्ग को साधने का प्रयास भी इसमें साफ नजर आता है। अन्नामलै और राधाकृष्णन एक ही समुदाय से आते हैं, जिससे यह संदेश भी देने की कोशिश हुई है कि बीजेपी इस वर्ग को राजनीतिक भागीदारी में महत्व दे रही है।
संघ और बीजेपी के प्रति निष्ठा
धनखड़ के अनुभव से सबक लेते हुए इस बार बीजेपी ने एक ऐसा चेहरा चुना है जो संघ की विचारधारा से पूरी तरह जुड़ा हुआ है। जगदीप धनखड़ का संघ और बीजेपी से गहरा नाता नहीं रहा, और उनके कार्यकाल में विपक्ष से कई बार टकराव की स्थिति बनी। लेकिन राधाकृष्णन की छवि एक मृदुभाषी और गैर-विवादास्पद नेता की है। उनका चयन इस बात का संकेत है कि बीजेपी अब संवैधानिक पदों पर विचारधारा से जुड़े और भरोसेमंद लोगों को ही प्राथमिकता देना चाहती है।
विपक्ष से भी मिला समर्थन
सीपी राधाकृष्णन की छवि इतनी संतुलित और सम्मानजनक है कि विपक्षी नेताओं ने भी उनके नाम पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता संजय राउत ने राधाकृष्णन की तारीफ करते हुए कहा कि उनका व्यक्तित्व बेदाग है और वे एक अनुभवी नेता हैं। यहां तक कि डीएमके ने भी उनके नाम को एक संतुलित और समझदारी भरा फैसला बताया है।
बीजेपी के लिए आदर्श उम्मीदवार
राधाकृष्णन की राजनीतिक यात्रा लगभग चार दशकों की रही है और अब तक किसी विवाद में उनका नाम नहीं आया। उन्होंने 2007 में तमिलनाडु में 93 दिनों की रथ यात्रा निकाली थी, जिसमें सामाजिक और राष्ट्रीय मुद्दों पर जनता को जागरूक किया गया। यही नहीं उन्होंने संसदीय परंपराओं और संवैधानिक दायित्वों का हमेशा गंभीरता से पालन किया है। यही वजह है कि बीजेपी ने इस बार बिना किसी राजनीतिक प्रयोग के उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया है।
पीएम मोदी का समर्थन और संदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी राधाकृष्णन की उम्मीदवारी पर खुशी जताते हुए कहा कि उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में जमीनी मुद्दों पर काम किया है और हर जिम्मेदारी में खुद को साबित किया है। पीएम मोदी ने उम्मीद जताई कि राधाकृष्णन उपराष्ट्रपति के रूप में एक प्रेरणादायी भूमिका निभाएंगे।
सीपी राधाकृष्णन का नाम उपराष्ट्रपति पद के लिए सामने आना बीजेपी की एक सोच-समझकर बनाई गई रणनीति का हिस्सा है। यह फैसला ना केवल पार्टी की विचारधारा से जुड़ा है बल्कि एक संवेदनशील, अनुभवशील और संतुलित नेतृत्व की तलाश का परिणाम भी है। अब देखना यह होगा कि विपक्ष किसे अपना उम्मीदवार बनाता है और क्या यह चुनाव सर्वसम्मति से पूरा हो पाएगा।