नेशनल डेस्क: उत्तर भारत में इस समय मानसून ने दोहरी तस्वीर पेश की है। दिल्ली-एनसीआर और मैदानी इलाकों में जहां रुक-रुक कर हो रही बारिश से लोगों को गर्मी और उमस से राहत मिली है, वहीं पहाड़ी राज्यों- हिमाचल, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में यह बारिश आफत बनकर बरस रही है। लगातार हो रहे भूस्खलन, बादल फटने और बाढ़ जैसी घटनाओं ने हालात को गंभीर बना दिया है। मौसम विभाग ने आने वाले दिनों के लिए कई राज्यों में अलर्ट जारी किया है।
दिल्ली-एनसीआर में राहत भरी बारिश
राजधानी दिल्ली और आसपास के जिलों में पिछले कुछ दिनों से हल्की से मध्यम बारिश का दौर जारी है। रविवार को सबसे ज्यादा बारिश नोएडा में दर्ज की गई, जिससे पारा नीचे आया और लोगों को झुलसाने वाली गर्मी से राहत मिली। मौसम विभाग का कहना है कि पश्चिमी विक्षोभ और लो प्रेशर एरिया की वजह से अगले कुछ दिनों तक राजधानी का मौसम इसी तरह बना रहेगा।
विशेषज्ञों का अनुमान है कि आने वाले दिनों में अधिकतम तापमान 34-35 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 23-26 डिग्री के बीच रहेगा। साथ ही 30-35 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से हवाएं चल सकती हैं। विभाग ने 23 अगस्त तक हल्की से मध्यम बारिश जारी रहने की संभावना जताई है। हालांकि, उमस लोगों को परेशान कर सकती है।
हिमाचल में लगातार तबाही
हिमाचल प्रदेश में बारिश का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा। मंडी जिले में भारी बारिश और भूस्खलन से कई घरों में मलबा घुस गया, जबकि नेशनल हाईवे पर जगह-जगह आवाजाही पूरी तरह ठप हो गई। राज्य मौसम विभाग ने चंबा और कांगड़ा जिलों के लिए येलो अलर्ट जारी किया है।
राजधानी शिमला और मनाली जैसे पर्यटन स्थलों पर भी बारिश की वजह से पर्यटक फंसे हुए हैं। रविवार को कई जगहों पर तेज बारिश के बाद शाम को धूप खिलने से लोगों को थोड़ी राहत जरूर मिली, लेकिन लगातार हो रहे भूस्खलन और सड़कों के बंद होने से जनजीवन प्रभावित बना हुआ है।
उत्तराखंड में बाढ़ और भूस्खलन का खतरा
उत्तराखंड में भी हालात गंभीर हैं। देहरादून, टिहरी, रुद्रप्रयाग, चमोली और पिथौरागढ़ जैसे जिलों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया गया है। निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है।
उत्तरकाशी की हर्षिल घाटी में हाल ही में आई बाढ़ के बाद बनी कृत्रिम झील स्थानीय लोगों के लिए चिंता का कारण बनी हुई है। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें पानी को सुरक्षित तरीके से निकालने का प्रयास कर रही हैं ताकि बड़े स्तर पर नुकसान न हो। गांवों में रहने वाले लोग लगातार हो रहे भूस्खलन और तेज बारिश की वजह से डरे हुए हैं।
जम्मू-कश्मीर में बादल फटने से तबाही
जम्मू-कश्मीर में मानसून का असर और भी भयावह रहा है। कठुआ जिले में बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं में सात लोगों की मौत हो गई, जिनमें पांच बच्चे शामिल थे। किश्तवाड़ जिले में भी बादल फटने से कई लोग घायल हुए हैं और घायलों की हालत गंभीर बनी हुई है।
कुछ दिन पहले मचैल माता मंदिर के पास बादल फटने से 61 श्रद्धालुओं की जान गई थी। इस घटना के बाद घाटी में डर का माहौल है और प्रशासन राहत एवं बचाव कार्यों में तेजी ला रहा है।
उत्तर प्रदेश में धीमी रफ्तार से सक्रिय मानसून
उत्तर प्रदेश में इस समय मानसून का असर अलग-अलग जिलों में अलग दिख रहा है। पश्चिमी यूपी में रुक-रुक कर बारिश हो रही है, जबकि पूर्वी यूपी के कई हिस्सों में मौसम फिलहाल साफ बना हुआ है। मौसम विभाग ने लखनऊ और आसपास के जिलों में शाम तक तेज बारिश की संभावना जताई है।
17 और 18 अगस्त को वेस्ट यूपी के कुछ जिलों में गरज-चमक के साथ तेज बारिश हो सकती है। राजधानी लखनऊ में अधिकतम तापमान 35 डिग्री और न्यूनतम 27 डिग्री के करीब रहने का अनुमान है।
राहत और आफत दोनों साथ
दिल्ली-एनसीआर और यूपी जैसे मैदानी इलाकों में बारिश ने लोगों को राहत दी है, लेकिन पहाड़ी राज्यों में इसका असर भयावह रहा है। भूस्खलन, नदियों के उफान और सड़कों के टूटने से आम जनजीवन पूरी तरह प्रभावित हो गया है। पर्यटन स्थल सूने पड़े हैं और प्रशासन लगातार लोगों को सतर्क रहने की अपील कर रहा है।
आगे का मौसम
मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि अगस्त का तीसरा सप्ताह उत्तर भारत के लिए अहम रहेगा। मैदानी हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश जारी रहेगी, जबकि पहाड़ों पर तेज बारिश और भूस्खलन की आशंका बनी रहेगी। दिल्ली-एनसीआर में मौसम सुहावना जरूर रहेगा, लेकिन उमस परेशान कर सकती है। हिमाचल और उत्तराखंड में येलो अलर्ट जारी किया गया है, जबकि जम्मू-कश्मीर में बादल फटने जैसी घटनाओं को देखते हुए प्रशासन सतर्क है।
इस तरह, उत्तर भारत में मौसम फिलहाल राहत और आफत दोनों की तस्वीर दिखा रहा है। जहां मैदानी इलाके बारिश का आनंद ले रहे हैं, वहीं पहाड़ों पर इसकी तबाही से लोग दहशत में हैं। मौसम विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे सतर्क रहें और अलर्ट का पालन करें।