Agni-5 Missile Test: DRDO ने किया सफल परीक्षण, 5000 KM रेंज से चीन-पाकिस्तान तक बढ़ा भारत का दबदबा

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नेशनल डेस्क: भारत ने 20 अगस्त 2025 को ओडिशा के चांदीपुर स्थित इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज से मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का सफल परीक्षण कर एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की। इस परीक्षण की कमान स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड (SFC) ने संभाली और रक्षा मंत्रालय ने इसकी आधिकारिक पुष्टि करते हुए बताया कि उड़ान के दौरान मिसाइल ने हर तकनीकी पैमाने को बखूबी पूरा किया। इस सफलता ने न केवल भारत की सैन्य ताकत को और मजबूती दी है, बल्कि यह भी स्पष्ट कर दिया है कि देश अब लंबी दूरी की मिसाइल तकनीक में पूरी तरह आत्मनिर्भर हो चुका है।

क्या है अग्नि-5 मिसाइल?

अग्नि-5, भारत की “अग्नि” श्रृंखला की सबसे उन्नत और शक्तिशाली मिसाइल है। यह एक सतह से सतह पर मार करने वाली परमाणु-सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल है जिसकी मारक क्षमता 5000 किलोमीटर से भी अधिक है। इसकी रेंज इतनी व्यापक है कि भारत से दागे जाने पर यह एशिया के लगभग सभी देशों और यूरोप के कई इलाकों तक पहुंच सकती है। यही कारण है कि इसे भारत की दीर्घकालिक सुरक्षा रणनीति का अहम हिस्सा माना जाता है।

डीआरडीओ का अभूतपूर्व योगदान

अग्नि-5 पूरी तरह भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की देन है। इसका पहला परीक्षण वर्ष 2012 में किया गया था। पिछले एक दशक में वैज्ञानिकों ने इसमें लगातार सुधार किए हैं, जिसमें आधुनिक मार्गदर्शन प्रणाली, नई इंजन तकनीक और अत्याधुनिक हीट शील्ड शामिल हैं। इन सुधारों ने मिसाइल की सटीकता, स्थिरता और मारक क्षमता को कई गुना बढ़ा दिया है।

MIRV तकनीक से लैस

इस मिसाइल की सबसे खास बात यह है कि यह MIRV (Multiple Independently Targetable Re-entry Vehicle) तकनीक से सुसज्जित है। इस तकनीक के जरिए एक ही मिसाइल में कई परमाणु वारहेड लगाए जा सकते हैं, जो अलग-अलग लक्ष्यों पर एक साथ प्रहार करने में सक्षम होते हैं। यह सुविधा केवल चुनिंदा देशों के पास मौजूद है और भारत का इसमें शामिल होना उसके रक्षा विज्ञान की बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।

परीक्षण की प्रक्रिया

20 अगस्त को किए गए परीक्षण को चरणबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया। समुद्र में तैनात जहाजों, उन्नत रडार और टेलीमेट्री स्टेशनों ने पूरी उड़ान का बारीकी से निरीक्षण किया। लॉन्चिंग से लेकर चरण विभाजन, मार्गदर्शन और पुनः प्रवेश तक हर चरण को रिकॉर्ड किया गया। रिपोर्ट के अनुसार मिसाइल ने हर पैरामीटर को पूरी सफलता के साथ पार किया, जिससे वैज्ञानिकों का आत्मविश्वास और भी बढ़ा।

क्यों अहम है यह परीक्षण?

वर्तमान वैश्विक परिदृश्य में जब कई क्षेत्रों में भू-राजनीतिक तनाव बढ़ रहा है, भारत का यह कदम रणनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। भारत हमेशा ‘No First Use’ परमाणु नीति और न्यूनतम प्रतिरोध क्षमता पर जोर देता आया है। लेकिन इस परीक्षण के जरिए यह स्पष्ट संदेश दिया गया है कि देश अपनी सुरक्षा को लेकर किसी तरह का समझौता नहीं करेगा।

अग्नि श्रृंखला की यात्रा

भारत ने अग्नि मिसाइल कार्यक्रम की शुरुआत 1980 के दशक में की थी।

अग्नि-1 : 700 किमी रेंज

अग्नि-2 : 2000 किमी रेंज

अग्नि-3 : 3500 किमी रेंज

अग्नि-4 : 4000 किमी रेंज
आज अग्नि-5 इस परिवार का सबसे आधुनिक और लंबी दूरी तक वार करने वाला हथियार है।

रोड-मोबाइल लॉन्चर की क्षमता

अग्नि-5 को इस तरह डिजाइन किया गया है कि इसे रोड-मोबाइल लॉन्चर से भी दागा जा सकता है। इसका लाभ यह है कि इसे अलग-अलग स्थानों से तैनात किया जा सकता है, जिससे दुश्मन के लिए इसकी लोकेशन का पता लगाना बेहद मुश्किल हो जाता है। यह भारत की रक्षा रणनीति को और लचीला व प्रभावी बनाता है।

वैश्विक महत्व और विशेषज्ञों की राय

विशेषज्ञों का मानना है कि इस मिसाइल की 5000 किमी से अधिक की रेंज भारत को केवल क्षेत्रीय नहीं, बल्कि वैश्विक स्तर पर सामरिक शक्ति प्रदान करती है। चीन का सबसे उत्तरी भाग, पाकिस्तान का हर इलाका और यूरोप के कई हिस्से इसकी पहुंच में आते हैं। इस लिहाज से इसे भारत की रक्षा नीति में “गेम-चेंजर” कहा जा रहा है।

अग्नि-5 मिसाइल का सफल परीक्षण भारत की सैन्य शक्ति, वैज्ञानिक कौशल और सामरिक आत्मनिर्भरता का प्रतीक है। यह उपलब्धि न केवल दुश्मनों को चेतावनी है, बल्कि हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण भी है। आने वाले समय में यह मिसाइल भारत की सुरक्षा को और अभेद्य बनाने के साथ ही देश को वैश्विक सामरिक शक्ति के रूप में स्थापित करने में अहम भूमिका निभाएगी।

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