Donald Trump का China को अल्टीमेटम: Rare Earth Export रोका तो लगेगा 200% Tariff, अर्थव्यवस्था तबाह करने की दी चेतावनी

Donald Trump China Tariff Donald Trump China Tariff: Rare Earth Export पर 200% शुल्क की चेतावनी

नेशनल डेस्क: अमेरिका और चीन के बीच जारी आर्थिक तनाव एक बार फिर चर्चा का विषय बना हुआ है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन को खुली चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर वह चाहें तो बीजिंग की अर्थव्यवस्था को पूरी तरह हिला सकते हैं। वॉशिंगटन डीसी में प्रेस से बात करते हुए उन्होंने दावा किया कि अमेरिका के पास ऐसे “कार्ड” हैं, जिन्हें इस्तेमाल करने पर चीन की अर्थव्यवस्था टिक नहीं पाएगी। हालांकि, उन्होंने साथ ही यह भी जोड़ा कि उनका इरादा टकराव बढ़ाने का नहीं है और दोनों देशों के रिश्ते मजबूत बनाए रखने की कोशिश होगी।

बेहतर संबंधों की बात, पर सख्त लहजा

ट्रंप ने कहा, “हमारे और चीन के बीच बेहतरीन रिश्ते रहेंगे। उनके पास कुछ विकल्प हैं, लेकिन हमारे पास अविश्वसनीय ताकत है। मैं इसे इस्तेमाल नहीं करना चाहता, क्योंकि इससे चीन की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो सकती है।” यह बयान उस समय आया है जब अमेरिका और चीन ने आपसी व्यापारिक युद्धविराम को 90 दिनों के लिए आगे बढ़ाने का फैसला किया है ताकि वार्ताकार समझौते की दिशा में आगे बढ़ सकें।

टैरिफ की लड़ाई और बढ़ता विवाद

पिछले एक वर्ष में अमेरिका-चीन के बीच टैरिफ को लेकर संघर्ष और गहरा हुआ है। ट्रंप प्रशासन ने चीनी उत्पादों पर कई बार शुल्क बढ़ाया, जो कुछ मामलों में 145% तक पहुंच गया। वर्तमान में भी अधिकतर चीनी आयातित वस्तुएं लगभग 30% टैरिफ के दायरे में हैं। ट्रंप ने चेतावनी दी कि यदि चीन अमेरिका को रेयर अर्थ मटेरियल की आपूर्ति में बाधा डालता है, तो वे उस पर 200% तक का शुल्क लगा सकते हैं।

रेयर अर्थ मटेरियल्स का महत्व इस वजह से ज्यादा है क्योंकि इनका इस्तेमाल उच्च तकनीकी उपकरणों, इलेक्ट्रॉनिक्स और रक्षा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर होता है। इस क्षेत्र में चीन का वर्चस्व है, और यही कारण है कि यह मुद्दा दोनों देशों के बीच विवाद का केंद्र बन गया है।

चीन की नीति पर अमेरिका की नाराजगी

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, बीजिंग ने हाल के महीनों में रेयर अर्थ एलिमेंट्स के निर्यात पर नियंत्रण सख्त कर दिया है। इसे लेकर अमेरिका ने कड़ा रुख दिखाते हुए कहा है कि अगर आपूर्ति रोकी गई तो कड़े आर्थिक कदम उठाने से पीछे नहीं हटेंगे। ट्रंप का कहना है कि अमेरिका अपने उद्योग और तकनीकी हितों की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है।

भारत-चीन की नजदीकी और ट्रंप की बेचैनी

ट्रंप के बयानों का एक और पहलू भारत-चीन के बदलते समीकरण से भी जुड़ा है। हाल ही में चीन ने भारत को रेयर अर्थ मटेरियल और सुरंग निर्माण मशीन उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भारत-चीन के बीच बढ़ती दोस्ती का संकेत है, जिससे ट्रंप असहज महसूस कर रहे हैं।

अमेरिका ने पहले ही भारत पर 50% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है, जिसकी समयसीमा जल्द खत्म होने वाली है। इससे पहले भारत पर 25% शुल्क था जिसे बढ़ाकर 50% किया गया। ट्रंप की नाराजगी की एक वजह भारत का रूस से तेल खरीदना भी बताया जा रहा है।

चीन के प्रति नरमी, भारत पर कड़ाई?

दिलचस्प बात यह है कि जहां ट्रंप ने भारत पर सख्ती दिखाई है, वहीं चीन के प्रति उनका रुख अपेक्षाकृत नरम दिखता है। चीन भी रूस से तेल खरीद रहा है, फिर भी ट्रंप ने सीधे तौर पर बीजिंग पर उतना दबाव नहीं डाला जितना भारत पर। इससे यह संकेत मिलता है कि ट्रंप चीन के साथ व्यापारिक संबंध बनाए रखना चाहते हैं, लेकिन दबाव बनाने की रणनीति छोड़ना नहीं चाहते।

ट्रंप का संभावित बीजिंग दौरा

ट्रंप ने खुलासा किया कि हाल ही में उनकी बात चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से हुई है और वे चीन दौरे पर विचार कर रहे हैं। संभव है कि यह दौरा साल के अंत या अगले वर्ष की शुरुआत में हो। शी जिनपिंग ने भी उन्हें बीजिंग आने का निमंत्रण दिया है। यह दर्शाता है कि कड़े बयानों के बावजूद दोनों देशों के बीच संवाद के रास्ते बंद नहीं हुए हैं।

आर्थिक टकराव का वैश्विक असर

अमेरिका और चीन दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं। इनके बीच चल रही टैरिफ जंग का सीधा असर अंतरराष्ट्रीय बाजार और वैश्विक निवेश पर पड़ता है। रेयर अर्थ पॉलिसी, तेल व्यापार और आयात-निर्यात प्रतिबंध जैसे मुद्दे बाजार में अनिश्चितता बढ़ा सकते हैं।

ट्रंप की रणनीति साफ है—वह चीन पर दबाव डालकर अमेरिकी हित सुरक्षित रखना चाहते हैं, लेकिन प्रत्यक्ष टकराव की ओर नहीं बढ़ना चाहते। उनका हालिया बयान केवल धमकी नहीं बल्कि एक कूटनीतिक संदेश है कि अमेरिका आर्थिक ताकत के दम पर वैश्विक व्यापार संतुलन प्रभावित कर सकता है।

आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि बीजिंग ट्रंप की इस चेतावनी पर कैसी प्रतिक्रिया देता है और भारत-चीन-अमेरिका के त्रिकोणीय संबंध किस दिशा में आगे बढ़ते हैं।

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