Success Story: 10वीं में फेल, लेकिन कैरियर में फुल मार्क्स, डीएसपी अभिषेक चौबे के संघर्ष से सफलता तक की कहानी

DSP अभिषेक चौबे सफलता की प्रेरक कहानी DSP अभिषेक चौबे सफलता की प्रेरक कहानी

नेशनल डेस्क: कहते हैं, “जहाँ चाह वहाँ राह।” अगर हौसला बुलंद हो तो कोई भी मुश्किल राह आसान हो जाती है। उत्तर प्रदेश के गाजीपुर से बिहार के मुंगेर तक का सफर तय करते हुए डिप्टी एसपी अभिषेक चौबे ने यही साबित किया है कि मेहनत, संघर्ष और कभी हार न मानने का जज़्बा इंसान को उसके सपनों तक जरूर पहुंचाता है। एक सामान्य मध्यमवर्गीय परिवार से निकलकर परिवार की जिम्मेदारियों के बीच खुद को कई बार असफलताओं के गर्त में पाकर भी उन्होंने अपनी उम्मीदों का दीप कभी नहीं बुझने दिया। उनकी कहानी हर उस युवा के लिए एक संदेश है जो अपनी मंजिल पाने के लिए संघर्ष कर रहा है।

संघर्षों की दीवारें लेकिन उम्मीद किरण की
कई बार असफलता से घिरे अभिषेक की कहानी निराशा नहीं, बल्कि उम्मीद की मिसाल है। हाईस्कूल में एक बार फेल होना साल 2018 में सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी शुरू करना और फिर कई बार मुख्य परीक्षा और इंटरव्यू में असफलता का सामना करना ये सब उनके हौसले को तोड़ नहीं पाया। उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड जैसे तीन राज्यों की सिविल सेवा परीक्षाओं में कुल 6 बार मुख्य परीक्षा और 4 बार इंटरव्यू में असफल होने के बाद भी वे टूटे नहीं। फिर 2022 में तीनों राज्यों के इंटरव्यू में अंतिम दौर तक पहुंचे, लेकिन कुछ अंक कम होने से सफलता नहीं मिल पाई। फिर भी उनके मन में विश्वास था आज नहीं तो कल जरूर सफलता मिलेगी।

पहली जीत और समाज के लिए योगदान
साल 2022 के अंत में लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित अंकेक्षण अधिकारी की परीक्षा में चयनित होकर अभिषेक ने अपनी पहली बड़ी जीत हासिल की। लगभग एक साल इस सेवा में कार्य करने के साथ ही उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार के समाज कल्याण विभाग में सिविल सेवा कोचिंग के मुख्य फैकल्टी के रूप में भी काम किया। इस दौरान वे सिर्फ खुद के लिए नहीं, बल्कि दूसरों के लिए भी मार्गदर्शक बने।

पुलिस सेवा में चयन और नई उड़ान
अक्टूबर 2023 में अभिषेक को पुलिस सेवा में चयनित किया गया, जो उनके लिए एक बड़ा मोड़ था। उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा के हर इंटरव्यू में पुलिस सेवा को अपनी पहली प्राथमिकता दी थी और अब वे बिहार के मुंगेर जिले में डिप्टी एसपी के रूप में सेवा दे रहे हैं। उन्होंने बिहार पुलिस अकादमी, राजगीर में साइबर सुरक्षा, नए आपराधिक कानून, फोरेंसिक साइंस और ट्रैफिक प्रबंधन जैसे आधुनिक और चुनौतीपूर्ण विषयों का प्रशिक्षण प्राप्त किया। साथ ही तेलंगाना के ग्रेहाउंड्स ट्रेनिंग सेंटर में नक्सल विरोधी अभियानों का प्रशिक्षण लेकर अपनी काबिलियत को और भी मजबूत किया।

संघर्ष ही सफलता की सीढ़ी
अभिषेक की कहानी सिर्फ एक नौकरी पाने की नहीं, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए है जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए कठिनाइयों से लड़ रहा है। उन्होंने साबित किया है कि चाहे कितनी भी बार असफलता मिले, अगर मन में विश्वास और हिम्मत बनी रहे तो सफलता निश्चित है। परिवार की जिम्मेदारियों को निभाते हुए, खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से मजबूत बनाकर अभिषेक आज समाज में अपनी सेवा के जरिए एक नई पहचान बना रहे हैं।  उनका सफर हमें यह सिखाता है कि मुश्किलें चाहे जितनी बड़ी क्यों न हों, उनका सामना करने का जज़्बा और निरंतर प्रयास हमें हमारी मंजिल तक पहुंचा ही देता है। वे हर उस युवा के लिए प्रेरणा हैं जो हार मानने के बजाय लगातार कोशिश करता है। उनकी कहानी यह साबित करती है कि जब हौसला बुलंद हो तो कोई भी मंजिल दूर नहीं होती।

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