सुप्रीम कोर्ट से संसद तक: उपराष्ट्रपति पद की दौड़ में बी. सुदर्शन रेड्डी, INDIA ब्लॉक का बड़ा दांव

INDIA ब्लॉक उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी INDIA ब्लॉक उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी।

नेशनल डेस्क: INDIA गठबंधन ने उपराष्ट्रपति पद के लिए बी. सुदर्शन रेड्डी के नाम का ऐलान कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश रह चुके रेड्डी को एक ऐसा चेहरा माना जा रहा है जिसकी साख और निष्पक्षता पर कोई सवाल नहीं उठता। मंगलवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने उनके नाम की घोषणा की और कहा कि सभी विपक्षी दलों की सहमति से उन्हें उम्मीदवार बनाया गया है।

कौन हैं बी. सुदर्शन रेड्डी?
बी. सुदर्शन रेड्डी का जन्म 8 जुलाई 1946 को हुआ था। उन्होंने बीए और एलएलबी की पढ़ाई की है। उनका न्यायिक करियर बेहद समृद्ध और प्रभावशाली रहा है। वर्ष 1971 में उन्होंने आंध्र प्रदेश बार काउंसिल में अधिवक्ता के रूप में अपना नाम पंजीकृत कराया। उन्होंने आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में रिट और सिविल मामलों में वकालत की।

न्यायिक सेवा में दी लंबी सेवा
बी. सुदर्शन रेड्डी ने 1988 से 1990 तक सरकारी वकील के रूप में सेवा दी। इसके बाद वे केंद्र सरकार के अतिरिक्त स्थायी वकील भी रहे। वे उस्मानिया विश्वविद्यालय के लिए कानूनी सलाहकार और स्थायी वकील भी बने। वर्ष 1995 में उन्हें आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट का स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया। इसके बाद 2005 में वे गुवाहाटी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश बने और 2007 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में कार्यभार संभाला। उन्होंने 2011 में सुप्रीम कोर्ट से सेवानिवृत्त लिया।

सामाजिक न्याय की दिशा में अहम योगदानतेलंगाना में सोशल इंजीनियरिंग की दिशा में बी. सुदर्शन रेड्डी की भूमिका को भी अहम माना जाता है। 2023 के विधानसभा चुनावों से पहले, तेलंगाना सरकार ने सामाजिक-आर्थिक, शैक्षिक, रोजगार, राजनीतिक और जातिगत सर्वेक्षण (SEEEPC) शुरू किया था। इस सर्वेक्षण की निगरानी और विश्लेषण के लिए बनाए गए विशेषज्ञ पैनल के अध्यक्ष बी. सुदर्शन रेड्डी ही थे।

इस पैनल की जिम्मेदारी थी कि सर्वेक्षण के आंकड़ों में पारदर्शिता बनी रहे और डेटा नीति निर्माण के लिए उपयुक्त हो। रेड्डी ने इस भूमिका में निष्पक्षता और कुशल नेतृत्व दिखाया।

विपक्ष ने क्यों चुना बी. सुदर्शन रेड्डी को?
INDIA ब्लॉक ऐसे उम्मीदवार की तलाश में था जो गैर राजनीतिक हो, जिसकी साख मजबूत हो और जिसे लेकर किसी भी पक्ष या वर्ग को कोई आपत्ति न हो। बी. सुदर्शन रेड्डी इन सभी मापदंडों पर खरे उतरे। वहीं एनडीए ने सीपी राधाकृष्णन को अपना उम्मीदवार घोषित किया है, जो संघ से जुड़े माने जाते हैं। इससे दक्षिण भारत की पार्टियों को धर्मसंकट में डालने की रणनीति अपनाई गई थी क्योंकि वे अपने क्षेत्र के किसी नेता का विरोध करना राजनीतिक रूप से ठीक नहीं मानते।
लेकिन जब बी. सुदर्शन रेड्डी का नाम सामने आया तो INDIA ब्लॉक ने इस रणनीति को ध्वस्त कर दिया। रेड्डी न सिर्फ दक्षिण भारत से हैं बल्कि गैर राजनीतिक और न्यायपालिका से आने वाले व्यक्ति हैं। इससे टीडीपी, वाईएसआरसीपी और बीआरएस जैसी पार्टियों को अपने समर्थन पर फिर से विचार करना पड़ सकता है।

सभी विपक्षी दलों की एकता का प्रतीक
बी. सुदर्शन रेड्डी के नाम को डीएमके, तृणमूल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी जैसे प्रमुख दलों का समर्थन मिला है। डीएमके ने दक्षिण भारत से उम्मीदवार की मांग की थी जबकि तृणमूल कांग्रेस एक गैर राजनीतिक व्यक्ति को इस पद पर देखना चाहती थी। रेड्डी के नाम ने इन दोनों ही शर्तों को पूरा किया।

INDIA बनाम NDA: न्यायपालिका बनाम राजनीति
INDIA ब्लॉक का यह भी कहना है कि जहां एनडीए ने संघ से जुड़े व्यक्ति को उम्मीदवार बनाया है वहीं उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से जुड़े व्यक्ति को नामित किया है। इससे एक स्पष्ट अंतर बनता है—एक तरफ है राजनीतिक सोच, दूसरी ओर न्यायिक दृष्टिकोण।

क्या बनेंगे देश के अगले उपराष्ट्रपति?
बी. सुदर्शन रेड्डी की उम्मीदवारी ने उपराष्ट्रपति चुनाव को काफी दिलचस्प और गंभीर बना दिया है। उनका स्वच्छ छवि, गैर राजनीतिक पृष्ठभूमि और न्यायिक अनुभव उन्हें एक मजबूत दावेदार बनाते हैं। अब देखना यह है कि अन्य विपक्षी और क्षेत्रीय दल किस ओर झुकते हैं और क्या सुदर्शन रेड्डी संसद भवन के उपराष्ट्रपति पद तक पहुंचते हैं।

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