इंटरनेशनल डेस्क: पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में हाल ही में मूसलाधार बारिश के कारण आई भीषण बाढ़ ने तबाही मचा दी है। प्रांतीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (PDMA) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, इस त्रासदी में अब तक 321 लोगों की जान जा चुकी है और कई लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं। शुक्रवार को आई बाढ़ में एक ही दिन में 200 से ज्यादा लोग मारे गए थे। यह प्राकृतिक आपदा अपने पीछे दर्द, तबाही और भयावह यादें छोड़ गई है।
बुनेर सबसे ज्यादा प्रभावित, 184 मौतें दर्ज
पीडीएमए के प्रवक्ता फैजी ने बताया कि बाढ़ से सबसे ज्यादा नुकसान बुनेर जिले में हुआ है, जहां अकेले 184 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा शांगला जिले में 36, मनसेहरा में 23, स्वात में 22, बाजौर में 21, बटाग्राम में 15 और लोअर दीर में 5 लोगों की जान गई। एबटाबाद जिले में एक मासूम बच्चा बाढ़ में डूब गया।
बादल फटा, पहाड़ों से आई मौत की लहर
प्राकृतिक आपदा के इस भयावह दृश्य में बादल फटने की घटनाएं, अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन प्रमुख वजह बने। खैबर पख्तूनख्वा के बाजौर, बुनेर, स्वात, मनसेहरा, शांगला, तोरघर और बटाग्राम जैसे पहाड़ी इलाकों में बारिश ने कहर ढा दिया। बाढ़ का पानी इतनी तेजी से आया कि लोगों को संभलने का मौका तक नहीं मिला। कई मकान ढह गए, सड़कें बह गईं और संचार व्यवस्था भी ठप हो गई।
बड़ी संख्या में लोग लापता, रेस्क्यू जारी
अधिकारियों का कहना है कि मृतकों की संख्या अभी और बढ़ सकती है क्योंकि प्रभावित इलाकों में बड़ी संख्या में लोग लापता हैं। राहत और बचाव कार्य जारी हैं लेकिन दुर्गम इलाकों में फंसे लोगों तक पहुंचने में काफी मुश्किलें आ रही हैं। स्थानीय प्रशासन, फौज और आपदा प्रबंधन टीमें लगातार काम कर रही हैं लेकिन कई जगहों पर मौसम के कारण हेलिकॉप्टर भी उड़ान नहीं भर पा रहे।
पूरे पाकिस्तान में बारिश ने मचाया कहर
यह बाढ़ केवल खैबर पख्तूनख्वा तक सीमित नहीं रही। जून के अंत से अब तक पाकिस्तान में मॉनसून की भारी बारिश ने कई बार तबाही मचाई है। खासकर उत्तरी इलाकों में बाढ़, भूस्खलन और विस्थापन की घटनाओं में तेजी आई है। लोगों के घर उजड़ गए हैं, फसलें नष्ट हो गई हैं और हजारों लोग अस्थायी शिविरों में शरण लेने को मजबूर हैं।
पर्यटकों और नागरिकों को चेतावनी जारी
प्रशासन ने नागरिकों और खासकर पर्यटकों से अपील की है कि वे अगले 5 से 6 दिनों तक संवेदनशील इलाकों की यात्रा से बचें। भारी बारिश और बाढ़ की संभावना को देखते हुए लोगों से सतर्क रहने और किसी भी आपात स्थिति में तुरंत स्थानीय अधिकारियों से संपर्क करने की सलाह दी गई है।
भविष्य की चुनौतियाँ और ज़रूरतें
इस आपदा ने एक बार फिर जलवायु परिवर्तन और कमजोर बुनियादी ढांचे की ओर ध्यान खींचा है। पाकिस्तान पहले ही पर्यावरणीय खतरों के प्रति संवेदनशील है और अब यह घटना बता रही है कि और अधिक प्रभावी योजना और संसाधनों की सख्त ज़रूरत है। आने वाले समय में सरकार को ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए पहले से तैयार रहना होगा।
ज़िंदगी फिर पटरी पर लानी होगी
खैबर पख्तूनख्वा की यह त्रासदी केवल आंकड़ों की कहानी नहीं है बल्कि उन सैकड़ों परिवारों की पीड़ा है जिन्होंने अपने अपनों को खोया है। अब सरकार और राहत एजेंसियों की जिम्मेदारी है कि वे प्रभावित लोगों को पुनर्वास में मदद करें और भविष्य में इस तरह की आपदाओं से निपटने के लिए ठोस कदम उठाएं।